काव्य वाणी
Shekhar Kumawat's Blog
दूर रहती तो है .........
दूर रहती तो है पर सताती बहुत है ।
भुलाता तो हूँ पर याद आती बहुत है ।।
बात ख्वाबो तक हो तो ठीक थी ।
मगर जहन में आती बहुत है ।।
तस्वीरो से दीवाना बना रखा है ।
गर सामने आये तो क़यामत बहुत है ।।
रुट कर मानती, मान कर रुट जाती ।
इन अदाओ से मुझे आजमाती बहुत है ।।
दिल में बसा कर दुनिया से छिपाती ।
जाने वो इतना प्यार करती बहुत है ।।
©
'शेखर कुमावत'
तेरे आने का...........
तेरे आने का
इंतजार
करती है निगाहें ।
कुछ ना कहो तो भी कहती है निगाहें ।।
आलम-ए-मंज्जर कुछ ऐसा है दिल का ।
एक मुद्दत से राह पे टिकायें रखी है निगाहें ।।
Tere aane ka intjaar karti he NIGAHEN.
Kuchh na kaho to bhi kahti he NIGAHEN.
Alam-E-Manjjar kuchh aisa he DIL ka.
Ek muddat se rah pe tikayen rakhi he
NIGAHEN.
©
'शेखर कुमावत'
नई पोस्ट
पुराने पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
Facebook Badge