कोई जमी तो कोई आसमां को तरसता |
बेरहम दुनिया में कोई अपनों को तरसता ||
गर इतना आसां होता जीना इस दुनिया में |
फिर क्यूँ कोई बेदर्द मौत को तरसता ||
बेरहम दुनिया में कोई अपनों को तरसता ||
गर इतना आसां होता जीना इस दुनिया में |
फिर क्यूँ कोई बेदर्द मौत को तरसता ||